जब भी हस्तशिल्प की बात आती है, बस्तर का नाम काष्ठ (लकड़ी) कलाकृतियों के लिए सबसे आगे होता है। यहां के शिल्पकारों ने अपने काम से बस्तर के काष्ठ शिल्प को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। बस्तर संभाग के गांव जैसे गढ़बेंगाल, कोहकापाल, लामकेर, और भोंड अपनी शिल्पकला के लिए जाने जाते हैं।
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गढ़बेंगाल के 65 वर्षीय शिल्पकार पंडीराम मंडावी एक बेहतरीन कलाकार हैं। उनके द्वारा बनाई गई लकड़ी की कलाकृतियां भारत के बड़े शहरों के होटलों और एम्पोरियम में शोभा बढ़ा रही हैं। इंग्लैंड के प्रसिद्ध कैंब्रिज विश्वविद्यालय के संग्रहालय में भी उनकी एक कलाकृति सजाई गई है।साल 2016 में उन्होंने इस संग्रहालय के लिए एक मेमोरियल पिलर (मृतक स्तंभ) बनाया।
बस्तर की प्राचीन आदिवासी संस्कृति में मृतक स्तंभ स्थापित करने की परंपरा काफी पुरानी है। पंडीराम मंडावी के लिए काष्ठ शिल्प कला पुश्तैनी पेशा है, जिसे उन्होंने अपने पिता मंदेर मंडावी से सीखा था।पंडीराम मंडावी जापान, इटली, फ्रांस और जर्मनी सहित कई देशों में भारत महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।शिल्पकला के जानकार और शोधार्थी जब नारायणपुर आते हैं, तो उनसे मिलने गढ़बेंगाल जरूर जाते हैं।
केरल सरकार ने उन्हें जे. स्वामीनाथन पुरस्कार से सम्मानित किया, और छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें “शिल्प गुरु” की उपाधि दी। उनके कई शिष्य भी इस क्षेत्र में सफल हो चुके हैं।पंडीराम मंडावी प्रसिद्ध “टाइगर ब्वॉय” चेंदरू मंडावी के छोटे भाई हैं। चेंदरू ने हॉलीवुड की एक फिल्म में काम किया था, जिससे उनके गांव को भी पहचान मिली थी।पंडीराम के बेटे बल्देव मंडावी, जो शिक्षक हैं, को गर्व है कि उनके परिवार ने बस्तर का नाम रोशन किया है और आज भी यह परंपरा जारी है।