दिनांक 24 जुलाई 2022

भारत में मंकीपॉक्स के चार मामले आ चुके हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न घोषित किया है, जो कि दुनिया भर के लिए चिंता की बात है।इसने राजधानी दिल्ली में एक शख्स को अपनी चपेट में ले लिया है। लेकिन, फिर भी रविवार को कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है- घबराने की जरूरत नहीं है।

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर प्रज्ञा यादव ने कहा है कि मंकीपॉक्स वायरस एक ढका हुआ डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है, जिसके दो अलग आनुवंशिक समूह हैं- मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) क्लैड और पश्चिमी अफ्रीकी क्लैड। उन्होंने कहा, ‘अभी का जो प्रकोप है, जिसने कई देशों को प्रभावित किया है और चिंताजनक स्थिति पैदा हुई है, वह पश्चिम अफ्रीकी क्लैड की वजह से है, जो पहले की रिपोर्ट की गई कांगो क्लैड के मुकाबले कम गंभीर है।’ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक महत्वपूर्ण संस्था है।

इन लोगों को घातक हो सकता है मंकीपॉक्स

NTAGI के कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख डॉक्टर एनके अरोड़ा ने बताया है कि अभी इससे घबराने की इसलिए जरूरत नहीं है, क्योंकि यह बीमारी कम संक्रामक है और बहुत ही कम मामलों में घातक साबित हो सकती है। लेकिन, उन्होंने यह भी आगाह किया है कि कमजोर इम्यून वाले लोगों के लिए ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। उनके मुताबिक, ‘हालांकि, इसका फैलना चिंता की बात है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। इस वायरस को सख्त निगरानी, कंफर्म मामलों के आइसोलेशन और संपर्कों का पता लगाकर नियंत्रित किया जा सकता है। ‘ हालांकि, कोविड-19 महामारी से सबक लेते हुए भारत ने अपने सर्विलांस सिस्टम को ऐक्टिवेट कर दिया है और मंकीपॉक्स के मामलों पर नजर रखना शुरू कर दिया है।

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