तियानजिन, चीन – एक 25 वर्षीय महिला, जो टाइप-1 (Type 1 diabetes)डायबिटीज से पीड़ित थी, ने स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद इंसुलिन का निर्माण शुरू कर दिया। प्रत्यारोपण के बाद केवल तीन महीने में महिला का शरीर फिर से खुद इंसुलिन बनाने लगा, जिससे वह दुनिया की पहली महिला बन गई जिसने अपने ही स्टेम सेल से डायबिटीज को हराया है। इस महिला का नाम उजागर नहीं किया गया है। यह जानकारी रिसर्च मैगजीन “नेचर” में प्रकाशित एक रिपोर्ट से मिली है। डॉक्टरों ने इसे डायबिटीज के इलाज में एक बड़ी सफलता बताया है, हालांकि यह एक जटिल प्रक्रिया है। महिला ने कहा, “अब मैं चीनी खा सकती हूं।”

 


स्टेम सेल से किया गया प्रत्यारोपण

शोधकर्ताओं ने टाइप-1 (Type 1 diabetes) डायबिटीज के तीन रोगियों से कोशिकाएं लेकर उन्हें पुनः प्रोग्राम किया ताकि वे शरीर के किसी भी हिस्से में काम कर सकें। इस तकनीक को पहली बार 20 साल पहले जापान के शिन्या यामानाका ने विकसित किया था। महिला के पेट की मांसपेशियों में लगभग 15 लाख आइसलेट कोशिकाओं का प्रत्यारोपण किया गया, जिससे दो महीने बाद उसका शरीर इंसुलिन बनाने लगा। एक साल से महिला का ब्लड शुगर लेवल सामान्य है और उसे इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत नहीं है।

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पहले हर दिन इंसुलिन लेना पड़ता था

महिला का इलाज एक साल पहले शुरू हुआ था और उसे हर दिन इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते थे। डॉक्टर जेम्स शैपिरो ने बताया कि स्टेम सेल्स ने महिला के शरीर में डायबिटीज को पूरी तरह ठीक कर दिया है। इससे पहले चीन में टाइप-2 डायबिटीज के मरीज के लिवर में भी आइसलेट सेल्स का प्रत्यारोपण किया गया था।

 

संख्या तेजी से बढ़ रही है

एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 54 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, जिनकी उम्र 20 से 79 साल के बीच है। हर 10 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज का शिकार है। अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 64 करोड़ और 2045 तक 78 करोड़ तक पहुंच जाएगी, जिनमें से ज्यादातर लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।

 

टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज क्या हैं?

 

टाइप 1 डायबिटीज:

टाइप 1 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से उन कोशिकाओं पर हमला करता है जो इंसुलिन बनाती हैं। इससे शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। इंसुलिन की कमी से शरीर का ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है। इसे आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में देखा जाता है, और इन मरीजों को रोज़ इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत होती है।

 

टाइप 2 डायबिटीज:

टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन तो बनाता है, लेकिन उसका सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। इस स्थिति में शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यह आमतौर पर उम्र बढ़ने, वजन बढ़ने और खराब जीवनशैली के कारण होता है। टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन की दवाएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है।

 

दोनों में अंतर:

टाइप 1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है।

टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता।

दोनों ही डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी होता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके।

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By Ankit

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