बालकोनगर, 02 सितंबर, 2024। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपने ‘मोर जल मोर माटी’ परियोजना के तहत लेट्स डू रोपई कार्यक्रम आयोजित किया। रोपाई में भाग लेकर कर्मचारियों ने समुदाय के साथ हरेली उत्सव मनाया। किसानों को सिस्टम फॉर राइस इंटेंसिफिकेशन (एसआरआई) पर प्रशिक्षण देकर रोपाई विधि को आसान बनाया। 50 से अधिक कर्मचारी स्वयंसेवकों ने 4.5 एकड़ खेत में धान लगाने में योगदान दिया। इस अभियान से लाभान्वित किसान के श्रम लागत में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आई।(Balco employees planted paddy)
छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। हरेली उत्सव किसानों के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है। छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। इस वर्ष बालको ने अपने कर्मचारियों को किसानों के साथ मिलकर धान की रोपाई में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। किसानों के साथ मिलकर कार्य करने से एकजुटता की भावना को बढ़ावा मिला।(Balco employees planted paddy)
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि बालको किसानों का हरसंभव सहयोग करने के लिए कटिबद्ध है। ‘लेट्स डू रोपाई’ अभियान में हमारे कर्मचारियों का स्वैच्छिक सेवा, समुदाय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मोर जोल मोर माटी परियोजना के माध्यम से कंपनी समुदाय के किसानों को सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई) विधि के साथ विभिन्न तकनीक और आधुनिक कृषि पद्धतियों में प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। आवश्यक ज्ञान और संसाधनों के साथ हमारा लक्ष्य किसानों के जीवन में बदलाव लाना है जिसमें कृषि और स्थायी आजीविका के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे के विकास भी शामिल है।
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कंपनी ने पूरे साल लगभग 2,300 छोटे और सीमांत किसानों को एसआरआई में प्रशिक्षित किया जिससे उनको आर्थिक लाभ मिला है। पारंपरिक तरीकों से खरपतवार, पोषक तत्वों, पानी और सूरज की रोशनी के लिए उपज में बाधा उत्पन्न तथा कीट और बीमारी की समस्याएं पैदा होती हैं जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। एसआरआई पद्धति को अपनाने से धान की जड़ों का मजबूत विकास होता है जिससे स्वस्थ फसलें प्राप्त होती हैं। इस तकनीक से किट-पतंगों की समस्या में भी कम हुई है जिससे धान के उत्पादन में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
बुंदेली गांव की किसान धनसाय पटेल ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि धान के उत्पादन के लिए एसआरआई तकनीक का प्रशिक्षण बहुत उपयोगी साबित हुआ। इस कृषि पद्धति को अपनाने से हमारे धान उत्पादन में वृद्धि हुई है। पारंपरिक तरीकों की तुलना में इस तकनीक ने मुझे बेहतर फसल उपज प्राप्त करने में मदद की है।
रोपई में हिस्सा लेने वाले बालको कर्मचारी सार्थक पटेल ने बताया कि किसानों के साथ काम करना काफी अच्छा लगा। इस अभियान से फसल के बारे में सीखना और अपनी नौकरी के बाहर सकारात्मक प्रभाव डालना सुखद अनुभव था।
बालको की में मोर जल मोर माटी परियोजना 32 गांवों में 1400 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 4749 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है। इस परियोजना के तहत 80% से अधिक किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है जिसमें एसआरआई, ट्रेलिस, जैविक खेती, जलवायु अनुकूल फसल, सब्जी और गेहूं की खेती आदि जैसी आजीविका बढ़ाने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं। लगभग 15% किसान आजीविका के लिए कृषि से साथ पशुपालन, बागवानी और वनोपज जैसी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। किसानों के औसत वार्षिक आय में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में 40 प्रतिशत की कमी।