देश-विदेश में विंध्य को पहचान दिलाने वाले सुंदरजा आम को जीआइ टैग मिल गया है। रीवा में 237 वैरायटी वाले आम के बागान है। पर सबसे खास गोविंदगढ़ का सुंदरजा आम है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जबलपुर के अधीन कृषि महा विद्यालय का फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया 32 हेक्टेयर में फैला है। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का उपक्रम है। जीआइ टैग मिल जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है। बताया गया है कि रीवा के फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया में आम और अमरूद पर रिसर्च की जाती है। फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया के विज्ञानी डा टीके सिंह के द्वारा कुछ वर्ष पहले जीआइ टैग के लिए अप्लाई किया था। जिसको स्वीकार कर सुंदरजा आम को टैग दे दिया गया है।(Rewa Sundarja mango GI)
एक जिला एक उत्पाद योजना में भी शामिल
सुंदरजा रीवा जिले में पाया जाने वाला विशिष्ट किस्म का आम है, इसका स्वाद सुगंध आम की सभी किस्मों से बेहतर है। यह सीमित क्षेत्र में पाया जाता है लेकिन इसकी पहचान विशिष्ट है। सुंदरजा आम को रीवा जिले की एक जिला एक उत्पाद योजना में भी शामिल किया गया है। सुंदरजा की विशिष्ट पहचान को जीआइ टैग मिलने पर आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।(Rewa Sundarja mango GI)
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मार्केटिंग के प्रयास शुरू
अब सुंदरजा आम पूरे विंध्य की पहचान बनकर दुनिया में जाना जाएगा। सुंदरजा आम की खेती और मार्केटिंग के लिए भी कई प्रयास किए गए हैं। परंपरागत रूप से सुंदरजा की उपज लेने वाले किसान इसकी आनलाइन बिक्री भी कर रहे हैं। सुंदरजा आम के क्षेत्र विस्तार के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, इसकी बड़े पैमाने पर खेती होने पर यह विंध्य के किसानों के लिए वरदान साबित होगा।(Rewa Sundarja mango GI)
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लगातार किया जा रहा था प्रयास
गोविंदगढ़ और उसके आसपास पैदा होने वाली सुंदरजा आम की किस्म को जीआइ टैगिंग से किसानों में चौतरफा खुशी है। किसान का कहना है कि अब हमारे बाग का आम जीआइ टैगिंग के साथ बिकेगा। ऐसे में ज्यादा भाव व बड़े बाजार मिलेंगे। शासन प्रशासन द्वारा पिछले 2 वर्षों से लगातार प्रयास किए जा रहे थे। तब कहीं जाकर सुंदरजा आम को जीआई टैगिंग मिली है।
इन वैरायटी के आम मौजूद
रीवा के फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया में लंगड़ा, दशहरी, चौसा, सुंदरजा, आम्रपाली के साथ-साथ ही कई राजा-महाराजाओं के नाम पर आम की किस्में मौजूद हैं।