मध्यप्रदेश में अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर 13 हजार डाक्टर हड़ताल पर चले गए. हड़ताल का असर जबलपुर, भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के 13 मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल, स्वास्थ्य केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों में पड़ा है.डाक्टरों की हड़ताल से गंभीर बीमारियों से पीडि़त व आपरेशन के इंतजार में बैठे मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ा है. हड़ताल का असर जबलपुर में भी देखने को मिल है. यहां पर डाक्टर हड़ताल पर चले गए है.(Madhya Pradesh doctors on strike)
हड़ताल समाप्त करने के लिए ली गई बैठक
बताया गया है कि डाक्टरों की हड़ताल समाप्त करने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री के आवास पर एक बैठक भी हुई है. जिसमें स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सक संगठन के पदाधिकारियों सहित अन्य लोग शामिल हुए. जिसमें डाक्टरों ने केन्द्र के समान डीएसीपी लागू करने की मांग रखी. जिसपर कहा गया कि एक या दो बैठक के बाद फैसला लिया जाएगा, लेकिन डाक्टरों का कहना था कि बैठक करते करते चुनाव आचार संहिता लग जाएगी और कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा. देर तक चली बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई जिसके चलते आज प्रदेशभर के 13 हजार डाक्टर हड़ताल पर चले गए।(Madhya Pradesh doctors on strike)
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सरकार के साथ विफल वार्ता के बाद मध्य प्रदेश शासकीय स्वदेशी चिकित्सक महासंघ के छत्र निकाय के तहत विभिन्न चिकित्सा संघों द्वारा आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है। महासंघ ने दावा किया कि लगभग 13,000 डॉक्टर विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। फरवरी में भी डॉक्टर इसी तरह के विरोध प्रदर्शन पर गए थे।(Madhya Pradesh doctors on strike)
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विरोध से आउट पेशेंट सेवाओं और अस्पताल के अन्य आवश्यक कार्यों पर असर पड़ने की संभावना है। अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार रात को जिला कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों के साथ आसन्न हड़ताल को लेकर बैठक की और उन्हें राज्य में चिकित्सा सुविधाओं का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।(Madhya Pradesh doctors on strike)
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बैठक के बाद चौहान ने एक बयान में कहा, ”स्वास्थ्य सेवाएं आवश्यक सेवाएं हैं। ऐसी सेवाओं के संचालन में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। आपातकालीन और महत्वपूर्ण सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए यह हड़ताल अनैतिक है। इसके लिए कार्रवाई का प्रावधान करें। मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्था करें और पीजी डॉक्टरों की सेवाएं लें।”
सीएम ने अधिकारियों से निजी अस्पतालों की मदद लेने को कहा और कहा कि सरकार आयुष्मान योजना के तहत ऐसे मरीजों (निजी अस्पतालों में) का इलाज करेगी। उन्होंने कहा, “मानव जीवन को बचाने के लिए डॉक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है। मानव जीवन के साथ मत खेलो।”
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भोपाल जिले में सरकारी चिकित्सा सुविधाओं को चलाने के लिए प्रशासन ने निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की व्यवस्था की है। भोपाल के कलेक्टर आशीष सिंह ने राज्य की राजधानी के सबसे बड़े सरकारी हमीदिया अस्पताल में संवाददाताओं से कहा, “निजी अस्पतालों के डेढ़ सौ डॉक्टरों को यहां बुलाया गया है और वे आउट पेशेंट विभाग (ओपीडी) और वार्डों में सेवा दे रहे हैं।” सिंह ने कहा कि हमीदिया अस्पताल में 672 मरीज भर्ती हैं, जहां सभी सुविधाएं सुचारू रूप से चल रही हैं।