छत्तीसगढ़ में अक्ति त्योहार यानी अक्षय तृतीया का अच्छा माहौल रहता है. आज के दिन छत्तीसगढ़ में गुड्डा-गुडिया (पुतरा- पुतरी) की शादी करने की परंपरा है.अक्ती छत्तीसगढ़ में पुराने और नए के बीच का सेतु है। छत्तीसगढ़ी बैरागी है। वह सदा पुराने से नए, प्राचीन से अर्वाचीन, जड़ता से गतिशीलता की ओर चलता चला आया है। यही इसकी विशेषता है। ‘अक्ती’ छत्तीसगढ़ विशेषता से जुड़ा अनोखा पर्व है। छत्तीसगढ़ में पर्वों और कुछ विशेष तिथियों के भीतर की कथा का अपना ही महत्व है।(Chhattisgarh festival Akshaya Tritiya)
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इसी दिन साल भर के लिए किसान के घर नौकरी करने के लिए अनुबंधित पुराना नौकर कार्यमुक्त होता है। नौकर के बदले यहां उसे कमिया, बइला चरवाहा या फिर हिस्सेदार के रूप में कृषक का सौंजिया कहा जाता है। सौंजिया जो फसल का एक हिस्सा अपने परिश्रम के बदले प्राप्त करने का अधिकारी होता है। नौकर नहीं, श्रम के बल पर वह मालिक होता है।(Chhattisgarh festival Akshaya Tritiya)
क्यों खास है अक्षय तृतीया
आज से अगले कई महीनो तक लगातार शादियों के लिए शुभ माने जाते हैं. पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि कई मांगलिक कार्य के लिए अक्षय तृतीया शुभ होता है. भारतीय सनातन संस्कृति में अक्षय तृतीया को अत्यधिक महत्व दिया जाता है. उन्होंने शास्त्रीय मान्यता के अनुसार बताया कि इस दिन रामायण और महाभारत की कई घटनाएं हुई थी.(Chhattisgarh festival Akshaya Tritiya)
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छत्तीसगढ़ में रामकथा, महाभारत, भर्तृहरि गाथा, ढोला मारू, लोरिकायन छत्तीसगढ़ी रंग में रंग कर विशिष्ट अंदाज में पीढ़ी दर पीढ़ी कथा-वाचन की समृद्ध परंपरा के दम पर जन-मन और कण-कण में परिव्याप्त है। छत्तीसगढ़ दुनिया भर की श्रेष्ठ परंपराओं को अपने ही ढंग से ग्रहण करता है। भाषा, व्यवहार, आचरण और परंपरा का छत्तीसगढ़ी अंदाज इसीलिए ज्ञानी-ध्यानियों को चकित करता है।