आज 15 अगस्त 2022 यानी देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर देशभर में हर्षो उल्लास से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। देश के आजाद होने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु बने उन्होंने राष्ट्र की आत्मनिर्भरता के शुरुआत मे ही उद्योग की ‘कुंडली’ लिखी बालकों उनमें से एक है आजादी के बाद देश में औद्योगिक क्रांति का दौर शुरू हुआ जिस में बालकों का निर्माण हुआ।(experience to the pinnacle of excellence)

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वेदांत समूह की कंपनी भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO) या राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में 58 वर्षों से योगदान कर रही है।यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में नए नए आयाम स्थापित किए हैं जैसे कि उत्पादन गुणवत्ता, शोध एवं विकास ग्राहक संतुष्टि आदि. बालकों ने अपनी मेहनत से ‘एलुमिनियम’ को भारत देश के हरित और खुशहाल भविष्य का पर्याय बना दिया है आंकड़ों की बात की जाए तो प्रतिवर्ष बाल को 5.70 लाख टन उत्पादन करता है। पिछले एक दशक से बालकों ने लगभग 98% हिस्सा औद्योगिक विकास कार्य में निवेश किया है देश में निर्मित दूरी तक वार करने वाले अनेक प्रकार की मिसाइलो में बालकों के एलुमिनियम का प्रयोग किया गया है इस कारण अंतरिक्ष संबंधी उपकरणों ने बालकों की कारीगरी मिसाल बनी ।(experience to the pinnacle of excellence)

 

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बालकों की प्रगति की कहानी की एक संयंत्र और उसमें लगी मशीनों की प्रकृति और विस्तार के तौर पर देखने का नजरिया संकुचन होगा। बालकों के कार्यकारी अधिकारी एवं निवेशक श्री अभिजीत पति का कहना है कि समाज को समृद्ध बनाना हमारा नैतिक दायित्व है। और सतत विकास के लिए बालकों की यात्रा जारी रहेगी सही मायने में उद्योग पर अधिकार उसमें काम कर रहे कर्मचारियों का है और साथी कोरबा की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति में बालकों का योगदान महत्वपूर्ण है। स्थानीय स्तर पर ही 5000 से अधिक व्यवसाय बालकों की प्रगति से जुड़े हैं सामुदायिक विकास के दायरे में 4 गांव से 123 गांव शामिल हो चुके हैं। बालकों ने संस्कृती को बढ़ावा देने के दृढ़ संकल्प के साथ थर्ड जेंडर नागरिकों को रोजगार के अवसर दिए हैं। यानी पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की पहली ऐसी कंपनी है।(experience to the pinnacle of excellence)

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औद्योगिक स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में अनेक कार्यक्रम संचालित किए गए हैं। बालको पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन को प्रोत्साहित करते हुए अब तक लगभग 43 लाख पौधे रोपे हैं। बालको 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप अपने संचालन को कार्बन रहित करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। कंपनी बायोमास ब्रिकेट्स के साथ थर्मल पावर उत्पादन के लिए अपने ईंधन मिश्रण को हरित कर रहा है, जिसमें सालाना 0.43 मिलियन टन CO2 समकक्ष जीएचजी उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है। वित्त वर्ष 2022 में बालको ने 22085 गीगा जूल की ऊर्जा बचत की। वैश्विक बेंचमार्क के अनुसार बालको की करेंट इफीसिएंसी, भारत के एल्यूमिनियम बिजनेस में उसके समकक्षों के बीच पॉटलाइन में कुल डीसी और एसी बिजली की खपत सबसे कम होने से उर्जा बचत हुई।(experience to the pinnacle of excellence)

 

75 बेड युक्त बालको अस्पताल साढ़े चार दशकों से ऐसे स्वास्थ्य केंद्र के रूप में काम कर रहा है जहां क्षेत्रीय नागरिकों के लिए विभिन्न विशेषज्ञ सेवाएं मौजूद हैं। सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों का दल बालको के कर्मचारियों, ठेका कर्मचारियों, उनके परिवारजनों और समुदाय के नागरिकों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रहा है। जिला प्रशासन की हरसंभव मदद के लिए अस्पताल कटिबद्ध है। बेहतरीन प्रबंधन और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बालको अस्पताल को आई.एस.ओ. 9001-2015 प्रमाणपत्र मिल चुका है।

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बालको ने शिक्षा के उन्नयन को सदैव ही सर्वोपरि रखा। पिछले लगभग दो वर्षों से बालको में निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संगठन दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारा सेवाएं दी जा रही हैं। वर्ष 2012 तक केंद्रीय विद्यालय संगठन का स्कूल संचालित था। इसके अलावा बालको टाउनशिप में 15 और भी स्कूल हैं जिनके संचालन में बालको प्रबंधन मदद करता है। सकारात्मक सामाजिक बदलाव में स्कूलों का बड़ा योगदान है। 5000 से अधिक छात्र-छात्राएं बालको की मदद से संचालित स्कूलों से लाभान्वित हो रहे हैं।

किसी भी देश के औद्योगिक विकास का असली मकसद है वहां रहने वाले नागरिकों को समृद्ध और वैभवशाली बनाना। समृद्धि का पर्याय उत्पादन और उत्पादकता के कीर्तिमानों भर से नहीं है बल्कि कारखाने से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े नागरिकों के जीवन स्तर में उठाव और उनके चेहरों पर आने वाली मुस्कान ही विकास का असली मानदंड है। इन अर्थों में वेदांत समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) देश, छत्तीसगढ़ और कोरबा क्षेत्र की ऐसी उत्कृष्ट औद्योगिक इकाई है जिसने सही अर्थों में अपनी तकनीकी और आर्थिक प्रगति को नागरिकों की तरक्की से जोड़ा है।

छत्तीसगढ़ में बालको की प्रगति का अर्थ सरकारी राजस्व में वृद्धि, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलंबन, बिजली, सड़क जैसी आधारभूत संरचना के विकास, पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन, प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अवसरों से भी है। राज्य, देश और दुनिया की औद्योगिक बिरादरी में बालको का विशिष्ट स्थान है। सफलता की यह कहानी बालको अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेका कामगारों ने साढ़े पांच दशकों के लंबे अंतराल में अपने खून-पसीने से लिखी है।

 

 

 

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