90 सीटों वाले छत्तीसगढ़ में सभी सीटों के परिणाम शाम तक आएंगे लेकिन अब करीब-करीब यह साफ हो गया है कि वहां सत्ता बदलने जा रही है। भूपेश बघेल की विदाई तय हैं। बीजेपी से मुख्यमंत्री कौन होगा यह अभी साफ नहीं हो सका है। पहले बात आज आए परिणामों की।(Chhattisgarh election breaking news)छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां तीन महीने पहले तक खुद बीजेपी के नेता इस बात को अंदर ही अंदर स्वीकार्य कर चुके थे कि इस बार कम से कम वह सत्ता में नहीं लौट रहे हैं। कांग्रेस हर बार 75 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही थी। पर चुनाव परिणाम एकदम उलट आए।
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क्या होसकता कांग्रेस की हार का कारण ?
1) अति आत्मविश्वास
सत्ता में रही पार्टी जब चुनाव में उतरती है तो उसके साथ सरकार और संगठन दोनों होते हैं। जैसा कि हमने भाजपा के साथ देखा है। कई दिग्गज नेताओं के दौरे छत्तीसगढ़ में चल रहे थे छत्तीसगढ़ के चुनावों में लोगों की कुछ नाराजगी सरकार के साथ थी लेकिन बड़ा नुकसान संगठन के सक्रिय ना होने की वजह से हो सकता है। संगठन इस बात की खुशफहमी में था कि वह सरकार में आने ही जा रहे हैं।(Chhattisgarh election breaking news) संगठन ने बूथ स्तर पर ना तो मैनेजमेंट किया और ना ही वोटरों को घर से निकालने में दिलचस्पी दिखाई। सरकार और संगठन में एक तरह की दूरी दिखाई दी। संगठन की उपेक्षा भी बीते पांच सालों में दिखी। इसका साफ असर चुनाव परिणामों में दिखा।
2) भ्रष्टाचार के लगातार आरोप
कांग्रेस अपनी सफाई में कुछ भी कहती रहे। कोर्ट में क्या साबित हो पाए या नहीं या वक्त बताएगा लेकिन कांग्रेस सरकार के ऊपर भष्ट्राचार के आरोप एक तरह से नत्थी हो गए। ऐन चुनाव के वक्त महादेव ऐप के प्रकरण ने भी इस धारणा की पुष्टि की।आम वोटर के दिमाग में यह संदेश गया कि यह सरकार किसी ना किसी रूप में भष्ट्राचार के मामलों में शामिल होती दिख रही है। भूपेश अपनी सरकार की एक नीट एंड क्लीन इमेज नहीं बना रख सके।
3) विकास कार्य को अनदेखा करना
बीते पांच सालों में भूपेश सरकार का मुख्य फोकस छत्तीसगढ़ी संस्कृति और किसान रहे हैं। कांग्रेस शहरी क्षेत्रों के विकास कार्यों से दूर रही है। सरकार लगातार छत्तीगसढ़ वाद पर केंद्रित रही। कई सारे सरकारी कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ के त्योहारों को धूम-धाम से मनाया गया। लेकिन कांग्रेस का फोकस कभी भी विकास कार्यों में नहीं दिखा। राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के बाकी शहरों में जो योजनाएं बीजेपी पिछली सरकारों में लेकर आई थी कांग्रेस उन्हें आगे नहीं बढ़ा सकी।
4) आपसी मतभेद
कांग्रेस सरकार खेमों में असंतुलन नजर आया।टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच में खटपट है यह बात कोई सीक्रेट नहीं थी। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुआ विवाद आखिरी के दो साल तक सरकार को दो गुटों में स्पष्ट रुप से बांट चुका था। टीएस और भूपेश में नहीं बनती यह बात कांग्रेस में जगजाहिर थी। टिकट वितरण में भी यह मनमुटाव दिखा। दोनों ही खेमे के लोग यह चाहते थे कि टिकट में उनकी चले ताकि जीतने के बाद मुख्यमंत्री बनने में उनका खेमा मजबूत हो सके। टिकट वितरण में यह रस्साकशी भी हार की एक वजह बनी।
5) योजनाओं को केवल घोषणा पत्र तक सीमित रखना
कांग्रेस महिलाओं को लेकर जारी की योजनाओं को समय से पहले नहीं पहुंचा सकी है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने महतारी वंदन योजना का घर-घर जाकर फार्म भरवाना और 12000 रुपए सालाना महिलाओं को देना यह इन रुझानों से यह बताता है कि प्रदेश में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाजपा को वोट दिया है। इसके साथ ही पूर्व में कांग्रेस सरकार के द्वारा शराब बंदी को लेकर किया गया वादा को न पूरा करना प्रदेश में कांग्रेस की हार की वजह बनती दिखाई दे रही है।