नया रायपुर- कलिंगा विश्वविद्यालय के शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के तत्वावधान में “छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक वैभव” विषय पर विश्वविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति के विशेषज्ञ प्रो.पीयूष कुमार उपस्थित थे।इस अवसर पर संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य.वक्ता ने उपस्थित विद्यार्थियों की छत्तीसगढ़ की संस्कृति से संबंधित  जिज्ञासा को शांत किया।

विदित हो कि संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य वक्ता और प्राध्यापकों की उपस्थिति में माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीपप्रज्वलन और माल्यार्पण से हुआ।इस अवसर पर बी.ए. की नाफिया अहमद और उनकी सहेलियों के द्वारा सरस्वती वंदना के मधुर गीत की प्रस्तुति दी गयी।कार्यक्रम के संयोजक विद्यार्थी कु.अनिशा खलखो और नाफिया अहमद के द्वारा मुख्य वक्ता का स्वागत किया गया।उसके उपरांत शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के अध्यक्ष डॉ.अजय कुमार शुक्ल के द्वारा मुख्य वक्ता की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उनका सारगर्भित परिचय परिचय दिया गया।

प्रो. पीयूष कुमार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़े हुए विविध पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक काल से लेकर अभी तक यहाँ की गौरवशाली संस्कृति को देखकर विश्व  के लोग अचंभित हो उठते हैं।उन्होंने भगवान राम का उल्लेख करते हुए यहाँ पर मामा के द्वारा भांजे को बहुत सम्मान देने की परंपरा है क्योंकि यह माता कौशल्या की जन्मभूमि है।उन्होंने मितान परंपरा के साथ सुआ गीत,पंथी गीत,करमा गीत,राउत नाचा आदि पर ज्ञानवर्धक बातें बतायी।उन्होंने बस्तर के दण्डाभी माड़िया जनजाति के मृत्यु गीत के बारे में बताया कि यहाँ व्यक्ति के मृत्यु के बाद भी प्रकृति के कारक के रुप में वापस लौटने की प्रार्थना की जाती है। उन्होंने यहाँ के निवासियों की सरलता,सहजता और मिलनसार व्यक्तित्व का कारण यहाँ की गौरवशाली संस्कृति को बताते हुए कहा कि देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में सामाजिक बुराई नहीं है और यहाँ समन्वय की समृद्ध परंपरा रही है।

मुख्य वक्ता के बीज वक्तव्य के बाद मुख्य वक्ता और विद्यार्थियों के बीच ‘खुला संवाद’ का कार्यक्रम आयोजित किया गया।जिसमें विद्यार्थियों ने मुख्यवक्ता से छत्तीसगढ़ की संस्कृति से संबंधित विभिन्न प्रश्नों को पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। कार्यक्रम के अगले चरण में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहा.प्राध्यापक श्री राजकुमार दास के द्वारा निर्देशित बस्तर की लोकसंस्कृति पर आधारित वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया।जिसमें बस्तर के दण्डाभी माड़िया जनजाति के मृत्यु संस्कार पर प्रचलित विविध परंपराओं का खूबसूरत चित्रण किया गया था।

संवाद संगोष्ठी के अंत में  बी.ए.षष्टम सेमेस्टर की कु.काजल शाह और कु.सुरभि जगत ने मुख्य वक्ता को विश्वविद्यालय की तरफ से स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.ए.षष्टम सेमेस्टर की कु. खुशी मिश्रा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन एवं आभार प्रदर्शन शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के अध्यक्ष डॉ.अजय कुमार शुक्ल ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डॉ. विजय भूषण, डॉ.सुषमा दूबे, डॉ.विनीता दीवान, डॉ. विजय आनंद, डॉ.अनिता सामल, डॉ. श्रद्धा हिरकने, डॉ. मनोज मैथ्यू, श्री राजकुमार दास, कु. आकृति देवांगन, कु. मधुमिता घोष, कु. जेसिका मिंज, कु. ज्योति रेड्डी, कु. अर्चना नागवंशी, मो. युनूस अंसारी एवं कला एवं मानविकी संकाय के विद्यार्थी उपस्थित थें।

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