कोरबा:-वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) देश में औद्योगिक उत्कृष्टता का पैमाना है। राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में 57 वर्षों से योगदान दे रही इस कंपनी ने उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, शोध एवं विकास, ग्राहक संतुष्टि, नवाचार, औद्योगिक स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण, मानव संसाधन प्रबंधन, सामुदायिक विकास आदि विभिन्न क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किए हैं। प्रति वर्ष 5.70 लाख टन उत्पादन क्षमता वाले बालको के उत्पादों ने दुनियाभर में विशिष्ट पहचान बनाई है।
बालको में स्थापित अत्याधुनिक तकनीकों और उत्पादन प्रक्रियाओं और इसके कर्मवीरों ने अपनी मेहनत से ‘एल्यूमिनियम’ को देश के हरित और खुशहाल भविष्य का पर्याय बना दिया है। Outstanding contribution of BALCO.
इनगॉट्स, वायर रॉड्स और अनेक प्रकार के रोल्ड प्रोडक्ट तैयार करने में बालको की विशेषज्ञता है। बालको देश की पहली कंपनी है जिसने पावर ट्रांसमिशन के क्षेत्र में प्रयोग होने वाले कंडक्टर्स के लिए एलॉय रॉड्स तैयार किए। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रोल्ड उत्पाद बनाने और देश के सबसे चैड़े हॉट रोलिंग मिल की मदद से विश्वस्तरीय गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करने के क्षेत्र में बालको ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। बालको में उत्पादित होने वाले प्राइमरी एल्यूमिनियम इनगॉट्स का प्रयोग विभिन्न सामग्रियों के निर्माण में किया जाता है। उच्च गुणवत्ता के प्राइमरी फाउंड्री एलॉय का उपयोग ऑटोमोबाइल उद्योगों में किया जाता है।
धातु उद्योग के वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एल्यूमिनियम को भविष्य की तथा ‘हरित धातु’ के रूप में निरूपित किया जाता है। अनुमान है कि एल्यूमिनियम उद्योग 94 एमटी के स्तर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 130 एमटी के स्तर को छू लेगा। इस दौरान इसकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारतीय एल्यूमिनियम बाजार में आधारभूत संरचना, पैकेजिंग, नवीकरणीय ऊर्जा, राजमार्ग, बंदरगाह, रेलवे, ऑटो कंपोनेंट्स और मशीनरी क्षेत्रों में खपत को देखते हुए माना जा रहा है कि देश में एल्यूमिनियम की मांग वर्तमान स्तर 4 एमटी से बढ़कर 8.7 एमटी हो जाएगी। इसकी सीएजीआर 7 फीसदी तक होने की संभावना है। रोल्ड उत्पादों के क्षेत्र में भी बड़ा अवसर है। वर्ष 2030 तक रोल्ड उत्पादों की मांग में सीएजीआर 3.2 प्रतिशत के साथ मांग 35 एमटी तक पहुंचने की संभावना है। दुनियाभर में 3000 विभिन्न प्रकारों से एल्यूमिनियम का प्रयोग होता है जबकि भारत में सिर्फ 300 प्रकार के उत्पादों के निर्माण में इस धातु का प्रयोग हो रहा है।
देश में एल्यूमिनियम उत्पादों के आयात पर निर्भरता समाप्त करने और घरेलू एल्यूमिनियम उद्योगों को प्रोत्साहित करने की दिशा में यह जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में रॉ मटेरियल कोयला, बॉक्साइट आदि की उपलब्धता सुनिश्चित हो। इससे वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए उत्पादन लागत पर नियंत्रण रखने में भी मदद मिलेगी है। नीति आयोग और खनन मंत्रालय की अनुशंसाओं के अनुरूप एल्यूमिनियम उद्योग को ‘कोर उद्योग’ के तौर पर वर्गीकृत करने की आवश्यकता है।